Wednesday, September 30, 2015

Poojan Vidhi


        आत्मन, मुख्यतः पूजा दो प्रकार की होती है! सामान्य व विस्तृत पर दोनों ही परिस्थितियों में ध्यान रहे की ईश्वर को आपका समय परिमाण में नहीं परिणाम में चाहिए! अत: चाहे समय थोडा दें या ज्यादा पर दिल से पूरी तरह जुड़ कर दें तो मनवांछित परिणाम निश्चित हैं! यहाँ आज के वास्तविक जीवन में समय के आभाव को ध्यान रखते हुए, आपके लिए विस्तृत (षोडश उपचार) और सामान्य पूजा के मध्य का रास्ता प्रस्तुत है! इसे रोज़ सुबह शाम यथा शक्ति दोहराएं!

1, ध्यान:- लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल, आई-पैड इत्यादि पर अपने इष्ट गृह या देव का मंदिर अपने सामने रखें, ध्यान भटकाने वाली किसी भी चीज़ को खुद से दूर रखें (जेसे मोबाइल इत्यादि) और सब जगह से अपने दिमाग को हटाकर अपने इष्ट की ओर लगायें! इसके लिए किसी भी श्लोक इत्यादि का उच्चारण करें! मंत्र संग्रह !

2. आवाहन:- अपने सामने हर घर मंदिर की मूरत को अपनी आँखों में भरकर, ऑंखें बंद करें और कल्पना करें की भगवान स्वयं आपके सामने खड़े हैं, आप प्रेम से उनकी आव भगत कर रहे हैं! जेसे एक बच्चा बड़े दिनों बाद अपने पिता से मिलकर भाव विभोर हो जाता है और उन्हें गले लगा लेता है आप भी उनके गले मिलें! और जो भी बात दिल में हो सब उनसे कह दें!

3. आसन:- आप अपनी कल्पना में एक सुन्दर सिंहासन को अपने हाथो से सजाएँ! उसमे फूल, माला, सोने, चांदी के आभूषण और मखमली गद्दियाँ लगायें! जो सुख आप भगवान् को प्रेम और श्रद्धा से देंगे, वो ही वापिस भगवान् से आपको मिलेंगे!

4. पद्य व् अर्घ्य:- आप दूध, दही से भगवान् के कमल समान सुन्दर चरण और हाथ धोएं और वापिस पानी से धोकर, मखमली कपडे से साफ़ करें, और इस प्रक्रिया में भगवान् की प्रेम भरी आँखों को देखते हुए अपना प्रेम उनपर लुटाएं!

5. आचमन:- तुलसी की पत्तियों से सुशोभित, मोतियों से सजे सोने के लोटे में पानी भरकर ईश्वर को अपने हाथ से पिलाने के सौभाग्य को महसूस करें! क्योंकि आजतक जो आपकी प्यास बुझाता था, आज आप अपने हाथो से उसकी प्यास बुझा रहे हैं!

6. वस्त्र:- अपनी कल्पना शक्ति और प्रेम के अनूठे संगम से एक बहुत ही सुन्दर पोषक प्रभु को अर्पण करें और उन्हें उस पोषक में खुश होते हुए महसूस करें!

7. ताम्बूलं:- भगवान् को पान के पत्ते और सुपारी भी अर्पण करें, क्योंकि आपके द्वारा दिए जाने वाले भोजन और प्रशाद को भोगने के लिए यह भगवान् को अति प्रिय हैं!

8. यज्नोपवित और गंध:- अब प्रेम से आंखे खोलें और अपने प्रिय ईष्ट को अपने सामने स्क्रीन पर देखें! स्क्रीन पर दिख रहे फूलो के थाल पर क्लिक करके बार बार अपने प्रिय इष्ट को पुष्प अर्पण करके खुश करें!

9. अर्चना और धूपं:- स्क्रीन पर दिख रही अगरबत्ती को क्लिक करें और जब वो भगवान् की वंदना शुरू करदे आप भी प्रेम से भगवान् के प्रिय मंत्रो का उच्चारण करके उन्हें प्रस्सन करें! मंत्र संग्रह !

10. नैवेद्य:- ईश्वर के लिए बनाया गया विशेष प्रशाद, अपने बनाये खाने का पहला ग्रास या कुछ भी न होने पर चीनी अथवा मिश्री, ईश्वर के अमृत पान के लिए स्क्रीन के सामने एक साफ़ बर्तन में रख दें! और स्क्रीन पर दिख रहे नारियल पर क्लिक करके ईश्वर को प्रशाद का भोग लगायें!

11. गान:- मंदिर में दिख रहे घंटे-घड़ियालो पर क्लिक करके ईश्वर को संगीत और ध्वनि से अपने सामने, अपने घर में और अपने तन मन में ख़ुशी, सुख और प्रेम भरने के लिए आमंत्रित करें!

12. दीपं:- अब दीपो के भव्य समूह पर क्लिक करें और उसके द्वारा अपने ईष्ट के सामने प्रकाश फेलायें, ताकि वापिस वो भी आपके जीवन को प्रकाश से भर सकें!

13. आरती:- अब अपने दिलो दिमाग से प्रभु में पूरण रूप से लीन होकर, दिल से वो आरती गायें की स्वयं आपके प्रिय प्रभु आपके आवाहन से आपके जीवन मैं आकर, न केवल सभी कष्ट हर लें बल्कि एक पिता की ही भांति आपकी मीठी तानो पर आपके साथ खोकर नृत्य करें और आपका जीवन खुशियो और सुखो से भर दें!
आरती संग्रह !

14. प्रेम याचना:- अंत में भगवान् से उनके आवाहन में रहने वाली किसी भी कमी या त्रुटी के लिए एक बच्चे समान अपने पिता से क्षमा प्रार्थना और प्रेम याचना के चाहे हम किसी कारणवश आपका साथ लेना भूल जाएँ पर जेसे एक बच्चे का अपने पिता के प्रेम और संपत्ति पर अघोषित अधिकार होता है, वेसे ही भगवान् आप भी किसी भी महत्व-पूर्ण क्षण में हमें मत छोड़ना, हमे प्रेम से थामे रहना!



Friday, September 25, 2015

Scientific Facts


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